देश का सबसे खतरनाक किला, जहां सूरज ढलने के बाद फैल जाता है सन्नाटा, जानिए क्या है वजह
कलावंती किले को देश का सबसे खतरनाक किला माना जाता है. इस किले तक पहुंचने वाले लोग शाम होने से पहले ही यहां से चले जाते हैं और किले के आसपास सूरज ढलने के बाद एकदम सन्नाटा फैल जाता है.
देश का सबसे खतरनाक किला, जहां सूरज ढलने के बाद फैल जाता है सन्नाटा, जानिए क्या है वजह (Images Source- Wikipedia)
देश का सबसे खतरनाक किला, जहां सूरज ढलने के बाद फैल जाता है सन्नाटा, जानिए क्या है वजह (Images Source- Wikipedia)
भारत में तमाम किले हैं जिन्हें देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. कलावंती किला भी इनमें से एक है. इस किले को देश का सबसे खतरनाक किला माना जाता है. इस किले तक पहुंच पाना भी एक हिम्मत की बात है और जो लोग यहां पहुंचते भी है, वो सूरज ढलने से पहले ही यहां से लौट जाते हैं. शाम तक इस किले के आसपास पूरी तरह से सन्नाटा फैल जाता है. यहां जानिए कलावंती किले से जुड़े दिलचस्प पहलू.
क्यों खतरनाक माना जाता है कलावंती किला
महाराष्ट्र के माथेरान और पनवेल के बीच में बसे इस कलावंती किले को प्रबलगढ़ किले के नाम से भी जाना जाता है. 2300 फीट ऊंची खड़ी पहाड़ी पर बने इस किले तक बहुत कम लोग ही पहुंच पाते हैं. इसका कारण है यहां का बेहद कठिन रास्ता. इस किले तक पहुंचने के लिए रॉक-कट की पहाड़ियों और नुकीली सीढ़ियों से होकर गुजरना होता है. साइड से पकड़ने के लिए न तो कोई बाउंड्री है और न ही कोई रस्सी. यानी अगर सीढ़ियां चढ़ते हुए आपका जरा सा पैर फिसला, तो आप सीधे गहरी खाई में जाकर गिरेंगे.
शाम होने से पहले फैल जाता है सन्नाटा
हैरानी की बात ये है कि इतना कठिन रास्ता होने के बावजूद तमाम टूरिस्ट इस किले की चढ़ाई करने के लिए आते हैं. लेकिन कुछ ही लोग सफलतापूर्वक इसे पूरा चढ़ पाते हैं. अंधेरा होने से पहले ही लोग इस किले को पूरी तरह से खाली कर देते हैं क्योंकि यहां न तो बिजली की व्यवस्था है और न ही पानी की. ऐसे में अंधेरे में जरा सी चूक से लोगों की जान जा सकती है.
शिवाजी ने दिया था कलावंती नाम
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कहा जाता है कि पहले इस किले को मुरंजन किले के नाम से जाना जाता था, लेकिन बाद में छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस किले के नाम को बदल दिया और इसका नाम रानी कलावंती के नाम पर रख दिया. तब से ये किला कलावंती किले के तौर पर प्रसिद्ध है. कलावंती किले से चंदेरी, माथेरान, करनाल और इरशाल और मुंबई के कुछ इलाकों को भी देखा जा सकता है.
कैसे करें किले की चढ़ाई
अगर आपको खुद पर भरोसा है और दिमाग को एकाग्र करके कलावंती दुर्ग तक पहुंचने का दम रखते हैं, तो ही यहां जाने का फैसला करें. कलावंती किले के लिए ट्रैकर्स ठाकुरवाड़ी गांव से ट्रैकिंग शुरू करते हैं. गांव तक पहुंचने के लिए आपको मुंबई से पनवेल के लिए ट्रेन लेनी होगी और उसके बाद इस डेस्टिनेशन के लिए बस ले सकते हैं. ज्यादातर लोग यहां अक्टूबर से मई के बीच में आते हैं. बारिश के मौसम में लोग यहां आने से बचते हैं क्योंकि बारिश के चलते फिसलने का डर बना रहता है.
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01:22 PM IST